शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

प्रणव ने लगाया जयकार, विपक्ष ने कहा-बंटाधार


शुक्रवार को केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने वित्तवर्ष 2011-12 के लिए रेल बजट पेश कर रही थी, वहीं बिहार विधानसभा में उप मुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी राज्य का बजट पेश कर रहे थे. विपक्षी दलों और वित्तविशलेषकों ने अपने -अपने ढंग से दोनों बजट का विशलेषण किया है, लेकिन जो एक बात दोनों में साझा है, वह यह कि आम लोगों को सीधे-सीधे दिखने वाले लाभ को बजट में दर्शाया गया है. एक तरफ ममता दीदी ने पिछले आठ वर्षों से चली आ रही यात्री किराया नहीं बढ़ाने की परंपरा का निर्वाह किया. वहीं सुशील मोदी ने धान, चावल, गेहूं, आटा, मैदा और सूजी को वैटमुक्त करने का प्रस्ताव देकर खाद्यान्न की कीमतों को नियंत्रित रख आम बिहारियों के दिल को जीतने का प्रयास किया. हालांकि सुशील कुमार मोदी ने 13 करोड़ के घाटे का बजट पेश किया. पिछले वर्ष की तुलना में बिहार का बजट घाटा4.76 करोड़ रुपये और बढ़ा है. बजट में पहली बार स्थानीय निकायों के लिए बजट पुस्तिका प्रकाशित करने का प्रावधान किया है, वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए राशि का भी प्रावधान किया है. मोदी ने कुल 65325.87 करोड़ रुपया वित्तवर्ष 2011-12 के लिए बजट पेश किया.

हालांकि बजट की बारीकियां आम लोगों के समझ के बाहर की चीज है, बावजूद इसके रेल बजट की झलकियों को देखते ही लोग सहज अंदाजा लगा लेते है कि ममता दीदी आखिर अपने बजट से किसे खुश करना चाहती हैं. वास्तव में उनकी नजर बंगाल में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है और उन्होंने उसे देखते हुए ही यह बजट तैयार किया. इसलिए इसे कहा जा रहा है कि - बंगाल चली ममता की रेल. लेकिन जब हम बिहार की बात करते हैं तो यह बजट भी आम तौर पर जनोन्मुख लगता है, कुछ लीक से हट कर करने की इच्छाशक्ति भी दिखती है. हालांकि भारतीय राजनीति की परंपरा के अनुसार विपक्षी दलों ने इस बजट को निराशाजनक, दिशाहीन, गरीबी बढाने वाला तथा कभी न पूरा होने वाले घोषणाओं का पिटारा बताया है, जो कि नया नहीं है. इस तरह की आलोचना की सत्तापक्ष और आम लोग आदी हो गये हैं. इस बजट की टीका-टिप्पणी से अलग बिहार चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष ओ पी शाह इस बजट की सराहना की है और इससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुदृढ होने की उम्मीद जता कर विपक्षी दलों की आलोचना की हवा निकाल दी है.

हालांकि एक बात है कि राज्य सरकार ने बजट में अपने कर एवं गैर कर का हिस्सा मात्र 15568 करोड रुपया बताया है, जो राज्य की अपनी आमदनी से आएगा, अर्थात बजट के करीब 50 हजार करोड रुपये के लिए बिहार को केन्द्रीय सहायता, केन्द्रीय हिस्सेदारी और कर्ज पर निर्भर रहना पडेगा.

गुरुवार को सुशील कुमार मोदी द्वारा पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करते हुए एक कमी की ओर इंगित किया था कि राज्य की प्रति व्यक्ति सालाना आय देश में सबसे कम है. इस लिहाज पेश बजट में शिक्षा के मद में 9379.72 करोड़ आवंटित किया जाना सरकार की दूरदर्शी नीतियों को दर्शाती है. जबकि राज्य कांग्रेस ने बजट का विरोध किया है, वहीं केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने बिहार बजट को संतुलित व विकासोन्मुख बजट करार देते हुए कहा है- जय बिहार.

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