रविवार, 22 मार्च 2009

बहुत कुछ तय करेगा 2009 का आम चुनाव

श्रीराजेश
15 वीं लोकसभा के चुनाव की तैयारियां पूरे शबाब पर है. एक अरब 25 करोड़ की आबादी वाले देश के 70 करोड़ मतदाता नई सरकार का चयन करेंगे और इनमें लगभग 42 करोड़ मतदाता युवा है. देश की आदाजी के बाद संभवतः यह पहला आम चुनाव है जिसके मतदाताओं में युवा वर्ग का वर्चस्व है. यह चुनाव पिछले 14 आम चुनावों से काफी कुछ अलग होगा. न तो सत्ताधारी यूपीए के पास कोई चुनावी मुद्दा है और न ही सबसे बड़े विरोधी दल भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के पास कोई मुद्दा है. अब तक जो परिदृश्य सामने आये है उनमें सबसे अधिक हास्यास्पद स्थिति कम्युनिस्टों के नेतृत्व में बना तीसरा मोर्चा का कुनबा है. न इनके पास कोई सर्वमान्य नेता है और न ही मुद्दा.पिछले दो दशक में राज्य स्तरीय छोटे दलों का वर्चस्व काफी बढ़ा है और ये छोटे दल राष्ट्रीय दलों को तीगनी का नाच नचाने में लगे हैं.बिहार में राजद-लोजपा के बीच गंठबंधन और कांग्रेस को महज तीन सीटें दे कर सूबे से कांग्रेस को समेटने की कवायद इन दलों की मंशा को चरितार्थ करते हैं. इसी तरह महज 20-25 सीटों के बल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजर टिकाये है. यह सारी स्थितियां मतदाताओं के सामने है. युवा वर्ग इस तरह की किसी भी अनैतिक व अराजनैतिक गतिविधियों के खिलाफ मन बना रहा है. राजनीतिक दलों के पास मुद्दे की चकाचौंध नहीं होने से मतदाताओं के पास उनके कार्यों का मूल्यांकन करने का बेहतर अवसर मिला है. दूसरी ओर से इस चुनाव से कई वरिष्ठ राजनेताओं के राजनीतिक जीवन के खात्में की घोषणा होनी है. यदि राजग बहुमत तो दूर रहता है तो प्रधानमंत्री के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी, राजनीतिक पटल से स्वतः गायब हो जायेंगे. इसके अलावा मायावती, जयललीता, लालू, रामविलास जैसे छत्रपों को उनकी औकात भी इस चुनाव में तय हो जायेगी. युवा मतदाता देश में बेहतर रोजगार के अवसर, बुनियादी ढांचे में सुधार, प्रशासनिक पारदर्शिता, अमन और खुशहाली चाहते है औऱ छत्रप यह सारी चीजे अपने राज्यों में देने में विफल साबित हुए है तो इनसे देश कैसे उम्मीद पाल सकता है. युवाओं की राजनीति में सक्रियता बढ़ाने के लिए जरुरी है कि राजनीतिक दल पहले अपने नेताओं की सूची से बाहुबलियों को हटाये. संसद में मसल्स की नहीं माइंड की जरुरत होती है.बड़े या छोटे राजनीतिक दलों के नेताओं को यह समय चेत जाने का अन्यथा वे अपनी सफाये के लिए खुद जिम्मेवार होंगे.

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