शुक्रवार, 19 मार्च 2010

गूगल का दोहरा खेल






पूरी दुनिया में इंटरनेट की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और जरुरत ने हमारे पूरे सोच के ढर्रे को बदल दिया है और हम गूगल जैसे सर्च इंजन पर पूरी तरह निर्भर हो कर रह गये हैं. गूगल ने स्वयं पर लोगों की निर्भरता को बरकार रखने की हर संभव कोशिश की है. पिछले दिनों चीन सरकार द्वारा चीन में गूगल की एक्ससे पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. एक बड़े बाजार को हाथ से निकलता देख गूगल ने चीनी बाजार पर अपनी पकड़ बरकार रखने के लिए हर संभव कोशिश की, जो कि किसी भी व्यावसायिक कंपनी के लिए पूरी तरह सही है लेकिन अगर हम विस्तृत फलक पर जाएं तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि गूगल जानकारी परोसने में पूरे विश्व समुदाय को गुमराह कर रहा है और धोखा दे रहा है. चीन और भारत के बीच सीमा विवाद नया नहीं है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है. जबकि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. वहां भारतीय नागरिकों द्वा निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार है. इसलिए यह क्षेत्र निर्विवाद रूप से भारत का है. इसी तरह जम्मू-कश्मीर का लद्दाख क्षेत्र भी भारत का अभिन्न हिस्सा है लेकिन पर चीन का दावा है.
यदि गूगल के इंटरनेट एडिशन के कुछ साइटों पर नजर दौड़ाए तो अमेरिकी नीति और गूगल की नियत दोनों साफ हो जाएगी. अपने व्यावसायिक हित के लिए गूगल भारत-चीन दोनों को मूर्ख बना रहा है. यदि आप गूगल मैप की चीनी संस्करण जिसकी वेबसाइट http://ditu.google.com है, पर देखेंगे तो अरुणाचल प्रदेश और आधा जम्मू-कश्मीर को चीन का हिस्सा दिखाया गया है. वहीं गूगल मैप के भारतीय संस्करण http://maps.google.co.in देखेंगे तो ये दोनों क्षेत्र भारत के हिस्से में दिखेंगे, जबकि गूगल के अंतरराष्ट्रीय संस्करण http://maps.google.com पर इन दोनों क्षेत्रों को विवादित दिखाया गया है. इससे यह साफ हो जाता है कि इस अमेरिकी कंपनी अपने नीति स्वार्थ के लिए दोनों देशों के तकरीबन तीन अरब लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. इस कंपनी की सेवाओं का यदि हम इस्तेमाल करते हैं तो हमारा यह अधिकार बनता है कि हम गूगल को बाध्य करें कि वह यह दोहरा खेल खेलना बंद करे. गूगल की तीनों वेबसाइटों से कॉपी किए गए चित्र यहां दिए जा रहे हैः-

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