शनिवार, 16 अप्रैल 2011

कैनवास पर राजस्थान की गुलाबी उजास



किरण सोनी गुप्ता प्रशासकीय अधिकारी होने के साथ ही एक उम्दा चित्रकार भी है, वह दोनों कार्यों के बीच कैसे सामंजस्य स्थापित करती हैं, पढ़ें...

दिल्ली का राष्ट्रीय संग्रहालय और ताबूतों में बंद ममियां, बेजान आदम कद व आदिम काल की मूर्तियां चुपचाप अपने काल का प्रतिनिधित्व करते हुए सारी बातें करती हैं. संग्रहालय के गलियारों में लगे सोफे उनसे अनदेखे हैं लेकिन वे सोफे थके हारे पर्यटकों और शोधार्थियों को सकून के साथ अतीत को अतीत के संदर्भ में देखने, समझने की गुंजाइश पैदा करते हैं और वहीं सोफे अजंता गैलरी में जाने को प्रेरित भी करते हैं. यह गैलरी वर्षों से आड़ी तिरछी रेखाओं वाले कैनवास से जीवन को बड़े साफगोई से पेश करती आयी है. इसी कड़ी में किरण सोनी गुप्ता की तुलिका से निकले रंग ने जीवन के बहुरंगेपन को आलोकित किया है. किरण बताती हैं उन्होंने बचपन को बड़े मन से जीया है. और इसी मनमौजीपन में उन्होंने पेंसिल और ब्रश अपनी दीदी से छिप कर थामा, कभी रंग कैनवास से छिटक कर फर्स पर गिरे तो कभी कपड़ों पर, डांट भी सुनी और कुछ अच्छी कलाकारी बनने पर दीदी का दुलार भी मिला. दिन बीते, और बीतता गया बहुत कुछ. इसी बीच प्रशासनिक सेवा में आने पर किरण सोनी की व्यस्तता बढ़ी, समय सिमटा लेकिन चित्रकारी के फलक विस्तृत हो गये. गुड्डों-गुडिय़ों की थीम से शुरू हुआ सफर स्त्री विमर्श और जीवन के उन आयामों तक गया जहां आम तौर विरानी छायी रहती है.
संग्रहालय में लगी किरण सोनी की पेंटिंग प्रदर्शनी की थीम रेतीले प्रदेश राजस्थान की गुलाबी उजास पर है. जहां आड़ी तिरछी रेखाओं में महिलाओं के विभिन्न रूप विभिन्न रंगों की जुगलबंदी से एकाकार होते दिखे. ये सभी पेंटिग सिर्फ पारंपरिक तुलिका से ही नहीं उकेरे गये बल्कि गैरमशीनी तकनीक का इसमें बखुबी इस्तेमाल दिखा और यहीं लीक से हट कर की गई पेंटिंग न केवल देश में बल्कि विदेशों की कला दीर्घा में भी किरण की कलाकृति को विशिष्ठता प्रदान करती है.
कलाकार की संवेदना ने राजस्थानी जीवन शैली और इसके पीछे उस शैली को बल प्रदान करने वाले कारकों को रंगों में ढाल कर कैनवास पर दिखाने की कोशिश की है. किरण कहती हैं, ‘निसंदेह पेंटिंग के लिए जरुरी है कि चित्रकार संवेदनशील हो, उसी तरह बैगर संवेदनशीलता के प्रशासकीय कार्यों का भी निष्पादन नहीं हो सकता. इसलिए दोनों कार्य मेरे लिए पृथक-पृथक होने के बजाए एक दूसरे के पूरक बन गये हैं.’ किरण सोनी ने अपनी चित्रकारी की प्रतीभा का लोहा न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी मनवाया है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा सहित अन्य कई यूरोपीय देशों में उनकी प्रदर्शनी ने खासी प्रशंसा बटोरी है और कई देशी विदेशी अवार्ड भी अपने नाम किये हैं.

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