बुधवार, 17 मार्च 2010

तबाही मचाने के मंसूबे से आ रहे रोहिंगा

म्यांमार में उत्तरी अराकान प्रदेश को स्वंतत्र राष्ट्र बनाने के लिए दो दशक से संघर्ष कर रहे सुन्नी मुस्लिम संप्रदाय के रोहिंगा अब भारत के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. म्यांमार में जुंटा सैनिकों की सख्त कार्रवाई ने रोहिंगाओं को म्यांमार से पलायन के लिए बाध्य होना पड़ा है. कई रोहिंगा नेता यूरोपिय देशों में तो भारी संख्या में रोहिंगा लड़ाके बांग्लादेश में शरण लिये हुए है. बांग्लादेश सरकार ने काक्स बाजार जिले में इन शरणार्थियों के लिए दो शिविर लगाई है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें 28 हजार रोहिंगा सपरिवार रह रहे हैं, वहीं हाल में ही संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी किये गये रिपोर्ट में बांग्लादेश में तकरीबन तीन लाख रोहिंगा शरण लिये हुए है. अराकान की स्वतंत्रता की लड़ाई में पाकिस्तान इन्हें बराबर मदद देता आया है और अब वह इनसे अपनी कीमत वसूलने का अभियान शुरू कर दिया है. इन रोहिंगा छापामारों व लड़ाकों को भारत में अस्थिरता फैलाने व आंतकी वारदातों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी आईएसआई प्रशिक्षण दे रही है और बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ करा रही है. भारतीय खुफिया एजेंसी ने इसका खुलासा किया है. खुफिया विभाग ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल व असम पुलिस को कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी दी है. खुफिया विभाग को रोहिंगाओं पर तब ध्यान गया जब कि वर्ष 2008 को क्रिस्मस की पूर्व संध्या अर्थात 24 दिसंबर को हावड़ा रेलवे स्टेशन से 32 म्यांमारी रोहिंगा को बगैर वैध दस्तावेजों के गिरफ्तार किया गया. इनमें बच्चे व महिलाएं भी शामिल थी. इसके बाद हिंद महासागर से वर्ष 2009 के पांच मई को भारतीय तट रक्षकों ने 72 छोटी नौकाओं के साथ इन्हें गिरफ्तार किया. इन गिरफ्तार म्यांमारी रोहिंगाओं से पूछताछ में खुफिया विभाग को कई चौकाने वाले तथ्य मिले हैं. खुफिया विभाग को मिली जानकारी के मुताबिक ये रोहिंगा दो मोर्चे पर अपनी लड़ाई एक साथ लड़ रहे हैं. एक तो अराकान को स्वतंत्र कराने के लिए पाकिस्तान से मिलने वाली मदद के लिए वह उसके इशारे पर भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, वहीं अराकान में म्यांमारी जुंटा सैनिकों द्वारा रोहिंगाओं पर किये जा रहे अत्याचार व मानवाधिकार की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. यूनियन रोहिंगा कम्यूनिटी आफ यूरोप के महासचिव हमदान क्याव नैंग का कहना है कि म्यांमार में रोहिंगाओं पर जुंटा सैनिक दमन नीति चला रहे हैं और खुलेआम वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की रोकथाम के लिए उन्होंने विश्व समुदाय से खास कर भारत से एमनेस्टी इंटरनेशनल पर दबाव बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने तीन सितंबर 2008 को बांग्लादेशी अखबार दैनिक युगांतर, पूर्वकोण में प्रकाशित खबर व फोटो को सभी देशों को भेजा है. इस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि म्यांमार में किस तरह रोहिंगाओं को मस्जिद में नमाज अता करने से जुटां सैनिकों द्वारा रोका जा रहा है. इसी तरह मांगदोव शहर से सटे रियांगचन गांव के मेई मोहम्मद रेदान नामक युवक को मानवाधिकार की रक्षा से संबंधित एक पत्रिका का प्रकाशन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. जुंटा सैनिकों की सहयोगी नसाका फोर्स ने उसे देकीबुनिया शिविर से गिरफ्तार किया और टार्चर किया. इस क्रम में उसकी जीभ काट ली गयी. इसी तरह यूनियन रोहिंगा कम्यूनिटी आफ यूरोप की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि पिछले वर्ष अगस्त तक जुंटा सैनिकों द्वारा 17 रोहिंगा समुदाय के धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार किया गया लेकिन अब वह कहां और कैसे है इनकी जानकारी किसी को नहीं है. इन 17 धार्मिक नेताओं में मौलाना मोहम्मद सोहाब, मौलाना मोहम्मद नूर हसन, नैमुल हक भी शामिल है. रोङ्क्षहगाओं के स्वतंत्रता संग्राम में पाकिस्तान धन, हथियार व प्रशिक्षण दे कर मदद करता रहा है. भारत में 26/11 की घटना में भारत-पाक सीमा पर चौकसी कड़ी कर दी गयी. इसके साथ ही सरहदी इलाके के स्थानीय लोगों का सहयोग भी पाक आतंकियों को नहीं मिल रहा है. इसका तोड़ निकालने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बांग्लदेश के रास्ते छापामार युद्ध की कला में निपुण इन रोहिंगाओं को भारत में आंतक फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. अब जब कि भारतीय खुफिया एजेंसी ने यह खुलासा किया है कि बांग्लादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल और असम से सीमावर्ती मुस्लिम बहुल इलाकों में तकरीबन डेढ़ हजार रोहिंगा लड़ाके छुपे हैं. खुफिया एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इनके पास विमान व युद्धपोतों को छोड़ कर लगभग सभी प्रकार के अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध है. खुफिया एजेंसी ने पश्चिम बंगाल व असम पुलिस को जो सूचना उपलब्ध करायी है उसके अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन रोहिंगा छापामारों को पाकिस्तान में छापामार युद्ध का प्रशिक्षण दे कर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ करा रही है. वर्ष 1991 से म्यांमार में रोहिंगा और जुंटा सैनिकों के बीच छापामार युद्ध चल रहा है लेकिन पिछले तीन वर्षों से जुंटा सैनिकों ने रोहिंगाओं के आंदोलन को दमन करने का अभियान छेड़ दिया है, इसलिए ये मुस्लिम राष्ट्रों मसलन पाकिस्तान और बांग्लादेश से मदद ले रहे हैं. हालांकि पिछले दिनों बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद नवनिर्वाचित बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि बांग्लादेश की जमीन को भारत विरोधी कार्यों के लिए इस्तेमाल नहीं करने दिया जायेगा. जबकि बांग्लादेश सरकार की ओर से हर प्रकार की मदद मिल रही है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन्हें हथियार चलाने व छापामार युद्ध का प्रशिक्षण दे रही है और उन्हीं के इशारे पर भारत में घुसपैठ कर रहे हैं. खुफिया अधिकारियों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के जलमार्ग से बांग्लादेश के खुलना और सतखिरा हो कर भारत में घुसपैठ कर रहे हैं. गुप्त सूचना के अनुसार कुछ छापामारों के उत्तर चौबीस परगना के बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों और दक्षिण चौबीस परगना के कैनिन, घुटियारी शरीफ, मगराहाट, संग्र्रामपुर, देउला, मल्लिकपुर और सोनारपुर में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच छिपे होने की आशंका है. इनमें भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल है.

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