
विकास के प्रति बिहार की अकुलाहट उस राज्य की जीजीविषा को दर्शाती है. पिछड़ेपन के दंश से उबरने की नित नई कोशिशें अब रंग लाने लगी हैं. एक तरफ सूबे के आठवीं कक्षा तक के 70,000 स्कूल ऑनलाइन हो गए हैं, तो वहीं सरकार ने अब सूबे में तीन किलोमीटर के दायरे में एक मिडिल स्कूल खोलने की घोषणा की है. जिससे मद्धिम हो रही शिक्षा की लौ सशक्त हो सके.
हालांकि केंद्र सरकार ने इसके पहले एक प्रस्ताव पारित किया था कि देश के सभी राज्यों में पांच किलोमीटर के दायरे में एक मिडिल स्कूल खोला जाए, ताकि अधिक से अधिक बच्चे शिक्षा के ज्योति से प्रकाशित हो सकें. इस मामले में बिहार ने दायरे को कम करते हुए तीन किलोमीटर कर दिया है. राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि इससे राज्य में शिक्षा दर बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके पहले सरकार ने स्कूली छात्राओं को साइकिल वर्दी देने की सफलता देख चुकी है. शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का अतीत विडंबनाओं से भरा है.
कभी नकल के लिए यह राज्य कुख्यात था, वहीं आईएएस और आईपीएस के चयन में बिहारी छात्रों का हमेशा से दबदबा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ हैं और शिक्षा के लिए होने वाले पलायन पर भी विराम लगा है. उच्च शिक्षा के लिए भी सरकार ने कई विशेष योजनाओं का कार्यान्वयन किया है, इसमें नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करना भी है.
सरकार की ओर से लांच वेबसाइट "डब्लूडब्लूडब्लू डॉट स्कूल रिपोर्ट कार्डर्स डॉट इन" पर सभी ऑनलाइन विद्यालयों के विषय में जानकारियां उपलब्ध हैं. यह व्यवस्था जिला शिक्षा सूचना व्यवस्था (डीआईएसई) नामक योजना के तहत की गई है, जिसके लिए "केन्द्रीय मानव संसाधन विभाग" और "यूनिसेफ" मदद कर रहा है. शिक्षा विभाग के मुताबिक इस योजना के तहत राज्य के सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को रखा गया है.
तो वहीं सरकार ने मिडिल स्कूलों को खोलने के लिए बजट में से 190 करोड़ रुपए इस मद में आवंटित करने की घोषणा की है. जबकि दूसरी ओर राज्य की शिक्षा व्यवस्था का स्याह पक्ष यह है कि अभी भी 8208 प्राथमिक विद्यालय भवन के अभाव में बगीचे और खेत खलिहानों में चल रहे हैं. वित्तवर्ष 2011-12 के बजट में सरकार ने 9379.72 करोड़ रुपए शिक्षा मद में रखा है. इतनी बड़ी राशि इसके पहले शिक्षा मद के लिए कभी आवंटित नहीं की गई. इससे उम्मीद जगी है कि जिन प्रथामिक विद्यालयों के भवन नहीं है उन विद्यालयों के लिए इस वित्तवर्ष में भवन बन जाएंगे. हालांकि बजट पेश होने के पूर्व ही 4496 स्कूलों के भवन निर्माण के आदेश दिए जा चुके हैं. बिहार में प्राथमिक स्तर पर अध्यापकों के 4,79,219 पद स्वीकृत हैं. शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छात्र और अध्यापक के अनुपात संबंधी प्रावधान को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 96,534 अध्यापकों की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त प्राथमिक स्तर पर 27,696 अंशकालिक अनुदेशकों (इन्स्ट्रक्टर) की जरूरत है. राज्य के मानव संसाधन विकासमंत्री प्रशांत कुमार शाही ने विधानसभा के बजट 2011-12 पर बहस के दौरान राज्य को भरोसा दिलाया कि इन सभी रिक्त पदों पर शीघ्र ही नियुक्ति की जाएगी और शिक्षा के स्तर को राष्ट्रीय औसत स्तर तक ले जाया जाएगा.
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